रंग भंग हुड़दंग संग गाये होली गीत
रंगी अंग प्रत्यंग सखी जगी सजन की प्रीत....
ओ प्रिय तेरे नैन छलकते भरकर नेह रंग की बरषा।
अंतर्मन की दाह भिगोते मेरा मन तेरा मन तरसा।
विकल प्रीत की रीत यही है अश्रु मिलन है तेरा मेरा,
आलिंगन मे साँसो के स्वर खुशियों का ये जीवन हर्षा.....
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बिरह