अपने हाथों की लकीरों में...

अपने हाथो की लकीरो मे बसा ले मुझको
मैं हू तेरा तो नसीब अपना बना ले मुझको

मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के माने
ये तेरी सादा-दिली मार ना डाले मुझको

खुद को मैं बाँट ना डालू कही दामन-दामन
कर दिया तूने अगर मेरे हवाले मुझको

वादा फिर वादा है मे ज़हर भी पी जाऊ क़ातिल 
शर्त हैं कोई बाहों में संभाले मुझको।
     ✍️ संदीप तिवारी (ढेमन बाबू)

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