जीना चाहा तो जिंदगी...

जीना चाहा तो जिंदगी से दूर थे हम,
मरना चाहा तो जीने को मजबूर थे हम,
सर झुका कर कबूल कर ली हर सजा,
बस कसूर इतना था कि बेकसूर थे हम।
✍️ संदीप तिवारी (ढेमन बाबू)

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