ठोकरें खा खा कर...

ठोकरें खा खा कर आगे बढ़ते जा रहा हूँ ,
ग़मों का पहाड़ है फिर भी चढ़ते जा रहा हुँ !

बढ़ते क़दम को रोकने की कोशिश किये बहुत मगर,,
मैं भी  जिद्दी कम नहीं, तूफ़ान से लड़ते जा रहा हुँ !!
✍️ संदीप तिवारी (ढेमन बाबू)

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