ख़त जो लिखा मैंने....

ख़त जो लिखा मैंने इंसानियत के पते पर,
डाकिया ही चल बसा पता ढूँढ़ते-ढूँढते ।
✍️ संदीप तिवारी (ढेमन बाबू)

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