मुझपर जिम्मेदारियां थी बहुत....

मुझपर जिम्मेदारियां थी बहुत मेरे घर की
माफ़ करना तेरे इश्क़ में मैं मर नहीं सका

वो लम्हे जो बीत गया मलाल मे.... 
सारे आसु सुख गये रुमाल मे.... 
जो खुद पर यकीन दिलाते है 
वही छोड़ जाते हैं इन्तजार में..
✍️ संदीप तिवारी (ढेमन बाबू)

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