ग़लतियों से जुदा तू भी नही , मैं भी नही
दोनो इंसान हैं , खुदा तू भी नही , मैं भी नही, ,
तू मुझे ओर मैं तुझे इल्ज़ाम देते हैं मगर
अपने अंदर झाँकता तू भी नही , मैं भी नही
ये नवाजिश है वक्त की मेहरबानी
वरना फितरत का बुरा तू भी नही , मैं भी नही,!!
✍️ संदीप तिवारी (ढेमन बाबू)
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नवाजिश है वक्त