मुख्यपृष्ठइश्क कि मंजिल ना जाने मुहब्बत में कितने... bySandeep Tiwari •मई 08, 2022 0 ना जाने मुहब्बत में कितने अफसाने बन जाते हैं,शमा जिसको भी जलाती है वो परवाने बन जाते हैं!कुछ हासिल करना ही इश्क कि मंजिल नही होती,,किसी को खोकर भी कुछ लोग दिवाने बन जाते हैं!!✍️ संदीप तिवारी (ढेमन बाबू) Tags: इश्क कि मंजिल Facebook Twitter