देख असर तेरी एक मुलाकात का
बेअसर हो गया दिल का धड़कना
खड़े हैं अरमानों को समेटे बेसुध
के संग चल रहा है जमाना
कुछ तो है तेरी बातो में जादू ,
ना जाने दिन से कब रात हो गई,
मुश्किल की घड़ी कब पार हो गई ,
वक़्त के साथ-साथ....
ये यादे दिल के और पास आ गई
✍️ संदीप तिवारी (ढेमन बाबू)
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जमाना