हमारी सांसों में हमने देखा...

हमारी साँसो में हमने देखा ,
तुम्हारी खुशबू महक रही है !

न होंठ खोले, न शब्द बोले ,
फिर भी एक कहानी, पनप रही है !

न तुमने कुछ कहा, न मैने सुना ,
फिर भी, एहसासों की दुनियाँ बुन रही है !


दो दिल थे कोरे, तेरे और मेरे ,
मुहब्बत अपनी दास्ताँ, खुद लिख रही है !

तुम्हारी आँखों में हमने देखा ,
हमारी तस्वीर चमक रही है !!

✍️ संदीप तिवारी (ढेमन बाबू)

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