अजीब सी दास्तां होती है दोस्ती की...

*अजीब सी दास्तां होती है दोस्ती की*
*मिलने से ज़्यादा लड़ना अच्छा लगता है !*
*मनाने वाले भी होते है कुछ,*
*और कुछ को चिढाना अच्छा लगता है !*
*दोस्तो के मुंह से कुछ सुनने के लिए,*
*कभी झुक जाना अच्छा लगता है !*
*सफ़र ट्रेन का हो या ज़िंदगी का,*
*दोस्तो में बैठ कर मुस्कुराना अच्छा लगता है !*
*दोस्त मिले तो लगता है मिल गई दुनिया,*
*बाक़ी सब कुछ भूल जाना अच्छा लगता है !*
*दुआ है की हम हमेशा एक साथ रहे,*
*दोस्तों  तुम्हारे साथ जीना अच्छा लगता है !!*
✍️ संदीप तिवारी (ढेमन बाबू)

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