अपनी जिन्दगी का अलग उसूल है...

अपनी ज़िन्दगी का अलग उसूल है;
प्यार की खातिर तो काँटे भी कबूल हैं;
हँस के चल दूँ काँच के टुकड़ों पर;
अगर तू कह दे ये मेरे बिछाये हुए फूल हैं।
✍️ संदीप तिवारी (ढेमन बाबू)

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