मुख्यपृष्ठकाँच के टुकड़ों पर अपनी जिन्दगी का अलग उसूल है... bySandeep Tiwari •जुलाई 16, 2022 0 अपनी ज़िन्दगी का अलग उसूल है;प्यार की खातिर तो काँटे भी कबूल हैं;हँस के चल दूँ काँच के टुकड़ों पर;अगर तू कह दे ये मेरे बिछाये हुए फूल हैं।✍️ संदीप तिवारी (ढेमन बाबू)https://dhemanbabu.blogspot.com/ Tags: काँच के टुकड़ों पर Facebook Twitter