आज फिर चाँद मुकम्मल दिखाई दे गया...

आज फिर चाँद मुकम्मल दिखाई दे गया....!
शायद भूलवश बादलों में छिप नहीं पाया ....!!
कुछ कर गुजरने की चाह में कहाँ-कहाँ से गुजरे,
अकेले ही नजर आये हम जहाँ-जहाँ से गुजरे...
✍️ संदीप तिवारी (ढेमन बाबू)

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