बहुत से ख्वाब अधूरे रह गए....

बहुत से ख्वाब अधूरे रह गए,
हम तुम मिलते मिलते बिछड़ गए!
सरहदों का हमारे दरमिया आना,
कितना मुश्किल हो गया!
तुमसे बिछड़ कर,
तुम्हारे बिन जिंदा रह पाना!!
✍️ संदीप तिवारी (ढेमन बाबू)

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