दूरी न रहे कोई

दूरी न रहे कोई
आज इतने करीब आओ
तुम मुझ में समा जाओ
मैं तुम में समां जाऊं
सांसों की हरारत से
तन्हाई पिघल जाए
जलते हुए होठों का
अरमान निकल जाए
✍️ संदीप तिवारी (ढेमन बाबू)

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