इश्क नही व्यापार किया था उसने...

इश्क़ नहीं व्यापार किया था उसने 
मुनाफा देख के प्यार किया था उसने 
मेरी हँसी मेरी खुशी दोनों को मार दिया 
एक ही तीर से दो शिकार किया था उसने 
मेरी खुशियों में उसकी भी हिस्सेदारी थी
बेवफा के साथ-साथ वो बेहतर शिकारी था
अपने इस हालात की जिम्मेदार मैं खुद ही हूं
क्यूंकि उस रिश्ते के लिए रजामन्दी भी तो मेरी थी !!
✍️ संदीप तिवारी (ढेमन बाबू)

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